Wednesday, December 9, 2009

....ताकि अमर रहे वो आवाज ।

भारत में अगर किसी आवाज को महान कहा जाता हैं तो वो लताजी की आवाज हैं । देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू को अपनी आवाज के दम पर रूलाने वाली लताजी ने फिल्म इण्डस्ट्री में पीढीयों के लिये गाया हैं । आज भी लोग उनकी आवाज के मुरीद हैं । नये हो या पुराने हर गाने में उनकी आवाज सिक्को की तरह खनकती हैं ।
तकनीक की तरक्की के कारण आज घर-घर में सी.डी. और डी.वी.डी.की पहुंच हो गई हैं और साथ ही नये पुराने गाने लोग चाव से सुनते हैं । फिल्म इण्डस्ट्री में पीढियों के लिये गाने वाली पीढीयों के लिये गाती रहे ऐसी दुआऐं हमारी हैं । लेकिन कुदरत के कानून के आगे हम सब मजबूर हैं । लताजी ने शादी नहीं की इस कारण से उनकी संतति हमें देखने को नहीं मिलेगी ।
हमने कई और महान गायकों को खोया हैं जिनकी क्षतिपूर्ति नहीं हो पाई । यदि हम किशोरकुमार या मुकेश की बात करें तो इनकी संतान भी गायकी के क्षैत्र में थे, पर वे अपने पिता की तरह उन ऊंचाईयों को नहीं छू पाये । परंपरागत शादी से उत्पन्न संतान में माता और पिता दोनों के गुण सम्मिलित होते हैं । यानि संतान के गुणसूत्र युग्म में एक सेट माता और एक सेट पिता के गुणसूत्र मिश्रित होकर जीनोम का निर्माण करते हैं । इस कारण से दोनों के गुण संतान में मिश्रित होकर प्रकट होते हैं । जिससे कई गुणों का ह्रास एवं नये गुणों का उद्भव होता हैं ।
यह सत्यापित हैं कि परंपरागत तरीके से उत्पन्न संतान के गुणों में शुद्धता का ह्रास हो जाता हैं अतः किसी ऐसी तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिये जिससे जीनोम की शुद्धता संतति में बनी रहे ।
क्लोनिंग से पिता या माता की क्लोनिंग से उत्पन्न संतति में जीनोम की शुद्धता बनी रहती हैं । हालांकि विश्व के किसी भी देश ने क्लोनिंग को मान्यता नहीं दी हैं । लेकिन लताजी जैसी विलक्षण प्रतिभा के लिये हमें कानून से परे जाकर भी कदम उठाने चाहिये । हम लताजी को खोकर भी उन्हें जिन्दा रख सकें, इसके प्रयास किये जाने चाहिये ।
शायद किसी दिन क्लोनिंग की तकनीक से हम मानव जाति की उन विलक्षण प्रतिभाओं को जीवित रख सकें जिसको खोने का ख्याल भी हमें परेशान कर देता हैं । लताजी अमर हैं और अमर रहे, एसी दुआऐं हमारी सदा उनके साथ हैं ।