मशहूर लेखक और कवि विलियम शेक्सपीयर ने कहा था- What is in the name.
एक बार की बात हैं शेक्सपीयर होम लोन अप्लाय करने के लिये बैंक में गये । वहां मैनेजर से जाकर अपना परिचय देते हुए आने का कारण बताया । मैनेजर ने कहा कि आपको अपने लोन के लिये आईडी प्रूफ और एड्रेस प्रूफ देना पडेगा । शेक्सपीयर ने पूछा-क्यों? मैनेजर ने कहां-ये साबित करने के लिये कि आप विलियम शेक्सपीयर ही हैं । शेक्सपीयर ने कहा - इसमें साबित करने की बात कैसे आई । मुझसे आप रोमियो जुलियट, मेक्बेथ या ओथेलो के बारे में पूछ लिजीये । मैनेजर ने कहां - सर हमें इनके बारे में पता नहीं हैं तो पूछेंगे क्या? आप प्रूफ ले आओ । शेक्सपीयर बोले- सर, किस तरह के प्रूफ से काम चल जायेगा? मैनेजर - राशनकार्ड, ड्राईविंग लाईसेन्स, पैन कार्ड, पासपोर्ट ईत्यादि ।
शेक्सपीयर ने अपना इरादा बदल दिया और सोचा किसी और देश में जाकर बस जाते हैं । एयरपोर्ट पर जाकर टिकट लेने के लिये इन्क्वायरी की तो बताया पासपोर्ट और वीजा लगेगा । शेक्सपीयर ने पूछा इनके बगैर नहीं चलेगा? ऑफिसर ने बताया - सर इनके बगैर आप आदमी ही नहीं हैं तो फिर आपको माइग्रेशन की परमिशन नहीं मिल सकती । ये प्रूव करना पडेगा कि आप ही विलियम शेक्सपीयर हैं ।
शेक्सपीयर अपने घर वापस आ गये । और सोचने लगे मुझे ये साबित करना पड रहा हैं कि मैं ही विलियम शेक्सपीयर हूँ । शेक्सपीयर को तब समझ में आया कि तंत्र में रहने के लिये नाम भी होना चाहिये और उसे प्रूव करने वाले दस्तावेज भी ।
अब शेक्सपीयर नहीं कहेगे कि :"What is in the name.
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